मनासा/महागढ़ मनासा तहसील से 9 किलोमीटर दूरी पर ग्राम पंचायत महागढ़ में होती है गोवर्धन पूजा कहीं वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को आज भी पहले जैसी परंपरा को निभाते हुए वह उत्सव से मनाते हुए गोबर से बनी विशाल बड़े महिलाएं द्वारा गोवर्धन बाव जी की गोबर से बनी प्रतिमा बनाई जाती है यह परंपरा श्री चारभुजा मंदिर प्रांगण पर सभी समाज की महिला द्वारा गोबर से बनाई जाती है प्रतिमा बन जाने के बाद में सभी महिलाएं द्वारा पूजन किया जाता है वह श्री चारभुजा मंदिर पर महा आरती और प्रसादी का कार्यक्रम संपन्न होता है दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है