*श्रीमद्भभागवत कथा के सात दिवसीय कथा का हुवा समापन।*


महागढ़- प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी समस्त ग्रामवासी महागढ़ द्वारा राठौर मोहल्ला श्रीराम राठोर धर्मशाला महागढ़ में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा प्रवक्ता पंडित नागेश्वरजी शर्मा धुलमहु वाले द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया गया। श्रीमदभागवत कथा के दौरान प.नागेश्वरजी शर्मा द्वारा बताया गया कि मनुष्य में धर्म और अधर्म दोनों की प्रवति होती है कभी भीतर धर्म बढ़ता है और कभी अधर्म। जब व्यक्ति के अंदर अधर्म का भाव आता है तब उसके मन मे उस अधर्म को न करने की एक लहर भी जरूर आती है भले वो उस पर ध्यान दे या न दे और अधर्म करने पर बार बार उसका मन अवश्य कहता रहता है की जो कर रहे हो वह गलत है ये आवाज तब तक आएगी जब जब आप अधर्म करेंगे। मनुष्य इसी आवाज को नजरअंदाज करके अधर्म करने लग जाते है ये अंदर की आवाज कुछ और नही बल्कि हमारी चेतना में बैठे कृष्ण की प्रेरणा होती है जो हमे अधर्म न करने की सलाह देती रहती है यही ईश्वर ने कहा है जब जब धर्मं की हानि ओर अधर्म की वृद्धि होगी। तब तब तक मे प्रकट होता रहूंगा यही उनके प्रकट होने की प्रक्रिया है क्योंकि वह तो अपनी प्रेरणाओं से हर व्यक्ति के अंदर अपनी अनुभूतियों का अहसास कराते ही रहेंगे। कथा के दौरान भगवान कृष्णलीला, प्रह्लादचरित्र, समुद्र मंथन एव अन्य कई ईश्वरीय रूपो का वर्णन किया गया एवं ग्रामीणवासियों द्वारा क्षेत्र में भरपूर वर्षा एव सुख सम्रद्धि की कामना की गई। श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन पूर्णवती के अवसर पर आसपास के गांवों से श्रद्रालु कथा का लाभ प्राप्त करने आये एव सभी ने अंत मे महाप्रसादी प्राप्त की। इस अवसर पर समस्त ग्रामवासी महागढ़ एव आसपास के गांवों के सभी धर्म प्रेमीबन्धु उपस्थित थे यह जानकारी सेवाधर्मी गुलाबचंद्र बारोड़ महागढ़ द्वारा प्रदान की गई।।
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